नाराणपुरना देरासर शिखर अने रंगमंडप वीशे बे दिवस पहेलां थोडुक लखेल. 26.01.2001ना भुकंप वखते देरासरजीना शीखर के गर्भग्रुहमां काईज नुकशान थयेल नहीं पण रंगमंडपने नुकशान थयेल.
सोमपुराओए 6 थी 20 लाखनो अंदाज बतावेल. एवी अफवा पण हती के शीखर अने प्रतीमाने नुकशान थयेल छे. आपणे सुज बुजथी कोईपण आसातना वगर रंगमंडपने रीपेर करेल छे. पुजा पाठ नियमित ए वखते अने आजे पण थाय छे.
हवे शीखरना पत्थर अने ध्वजदंड वीशे थोडीक माहिती.
दहेरासरजीमां 2009नी प्रतिष्ठा पहेलां पार्श्वनाथ मुळ नायक हता एने ए वखते गोरजी वगेरेनी सलाह प्रमाणे चंद्राप्रभुने मुळ नायक बेसाळेल. कच्छना घणां गामोमां जेमके नांगलपुर, नरेडी, डुमरा, नाराणपुर वगेरेमां चंद्राप्रभुने मुळनायक तरीके बेसाळेल अने पार्श्वप्रभुने परोणा तरीके राखेल.
एना पछी लगभग दरेक मींटींगमां बे चर्चा मुख्य रहेती. एक के पार्श्वनाथ प्रभुने परोणा राखेल छे पछी जल्दी एने योग्य जग्याए मोकलो अथवा वीधी प्रमाणे एनो अंत करो. बीजी चर्चा ए रहेती के मुळ पार्श्वनाथ भगवानने चंद्रप्रभुनी जेम समकक्ष राखवा अने क्यांये मोकलवा नहीं. आ बन्ने चर्चा घणां वरसो एटलेके संवत 2009 थी संवत 2045 सुधी महत्वनी रही.
पछी एक निष्णांते सुचन बतावेल के देरासरजीना शीखरमां घणीं जग्या छे. अने शीखरमां मंदिर बनावी पार्श्वनाथ प्रभुने पधराववा. आ सुचन घणोज व्यवहारु तेमज ओछा खरचमां थई जाय एम हतुं. एटले संवत 2047मां 26.05.1991ना प्रतिष्ठा करी पार्शवनाथने शिखरजीमां पधरावेल. ध्वज दंड के धजामां कांईज फेरफार करेल न होवाथी वर्षगांठनी तीथि मागसर सुदि 11 ज राखवामां आवेल.
आ अगाउ लाकडानो ध्वज दंड हतो एने धातु एटलेके पितळमां फेरवेल त्यारे शुं अने कोणे केवी रीते करेल छे ए नोंध जोवा मळती नथी एटले मागसर सुदि 11ना दिवसे फेरफार करेल हशे एम समजी लेवुं.
एवीज रीते शीखरमां ध्वजदंड नो पत्थर जे छे ए लागे छे पहेलेथी बे टुकडामां हतो. संवत 1952 (ई.स. 1895) पहेलां देरासरजी बनावती वखते आटले उंचे बे टुकडामां उपर लई जई बेसाडेल हसे. पण घणां वरसोना तडका छायडा अने कच्छनी आबोहवाने कारणे ए पत्थरनो सांधो देखावा लाग्यो छे.
हवे काचना बे टुकडाने जोडी मुळ जेवा बनावी शकाय एवा केमीकल आवे छे. आपणां देरासरजीमां राखोडी पत्थरनो उपयोग करेल छे अने ए पत्थरनी लाईफ अमुक वरस पछी घटती जाय छे. एटले के वरसाद, तडको क्च्छनी आबोहवाने कारणे राख बहार नीकळी आवे छे. एटले पत्थर नरम बनी जाय छे टांकणांथी कोतरीए तो पत्थरमांथी राख नीकळी शके.
रंगमंडपनी बहार घंट छे ए वगाडवानुं आपणे बंध करेल कारण के ए जग्याए पत्थरने वधु नुकशान थाय छे. घंट नादथी नुकशान चालु रहे छे. शिखरमां जे पत्थर छे एनी पण लाईफ अमुक समय सुधी ज होय छे.
एटलेके शीखरना ध्वज दंडनो पत्थर मुळ रीते बरोबर थई जाय तो ध्वज दंडनी वीधि एक दिवसमां थई जाय अने वर्षगांठ मागसर सुदि 11 राखी एक ज दिवसमां अढार अभिषेक सत्तर भेदि पुजा अने ध्वज दंड प्रतिष्ठा थई शके. कोई मुर्हरत, ज्योतिष, सोमपुरा, रुषिमुनि, आचार्यने बताववानी जरुर न पडे. कोई चोगडिया के मुहरतनी जरुर न पडे.
मित्रो आ एक विचार छे. गाममां छेल्ला 20-25 वरसथी जैनोए माल मिल्कत जमीन छोडी दीधेल छे. एटले आव जवानुं ओछुं करी नाखेल छे. हाले गाममां मुख्य अटक प्रमाणे जोईए तो वोरानुं माताजी स्थान वरंडीमां छे. काराण नुखना भाविकोनुं स्थान डुमरामां छे अने नागडा भाविकोनुं स्थान नाराणपुरमां पहले थी छे. वोरा नुखना भाविको पोडषा दादा के चीड जुहार छेडा छेडी माटे जाय छे ए पण डुमरा के वरंडी रहेवानुं राखी वीधि करे छे. काराणी नुखना भाविको डुमरामां रही बधी वीधि डुमरा करी ले छे. नागडा नुखना भाविको वीधि नाराणपुरमां करे छे रहेवा माटे नाराणपुर के डुमरामां व्यवस्था करे छे. पोस्ट मोटी थती जाय छे एटले आजे आटला वीचार..